कोणार्क सूर्य मंदिर
यह मंदिर, भारत की सबसे प्रसिद्ध 7 आश्चर्य स्थलों में से एक है। राजा लांगूल नृसिंहदेव की अकाल मृत्यु के कारण, मंदिर का निर्माण कार्य खटाई में पड़ गया। राजा लांगूल नृसिंहदेव ने १२८२ तक शासन किया। कोणार्क मंदिर का निर्माण १२५३ से १२६० ई. के बीच हुआ था। अतएव मंदिर के अपूर्ण निर्माण का इसके ध्वस्त होने का कारण होना तर्कसंगत नहीं है। कोणार्क शब्द, ‘कोण’ और ‘अर्क’ शब्दों के मेल से बना है। अर्क का अर्थ होता है सूर्य जबकि कोण से अभिप्राय कोने या किनारे से रहा होगा। कोणार्क का सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर पूर्वी किनारे पर समुद्र तट के क़रीब निर्मित है संपूर्ण मंदिर स्थल को एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया है। इसके प्रवेश पर दो सिंह हाथियों पर आक्रामक होते हुए रक्षा में तत्पर दिखाये गए हैं। ये १० फीट लंबे व ७ फीट चौड़े हैं. ये २८ टन की ८.४फीट लंबी ४.९ फीट चौड़ी तथा ९.२ फीट ऊंची हैं।
खजुराहो
खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है. खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है. चन्देल वंश और खजुराहो के संस्थापक चन्द्रवर्मन थे। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच इन्हीं चन्देल राजाओं द्वारा किया गया। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था।
जैसलमेर दुर्ग
ये दुर्ग २५० फीट तिकोनाकार पहाड़ी पर स्थित है. इस पहाड़ी की लंबाई १५० फीट व चौङाई ७५० फीट है। इसका निर्माण कार्य ११७८ ई. के लगभग प्रारंभ हुआ था। इस परकोट में गोल बुर्ज व तोप व बंदूक चलाने हेतु कंगूरों के मध्य बेलनाकार विशाल पत्थर रखा है। पीले पत्थरों से निर्मित यह दुर्ग दूर से स्वर्ण दुर्ग का आभास कराता है। जैसलमेर दुर्ग में ७०० के करीब पक्के पत्थरों के मकान बने हैं, जो तीन मंजिलें तक हैं। दुर्ग के तीसरे दरवाजे के गणेश पोल व चौथे दरवाजे को रंगपोल के नाम से जाना जाता है।
लाल किला
मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा ई स 1639 में बनवाया गया था। लाल किला मुगल बादशाह शाहजहाँ की नई राजधानी, शाहजहाँनाबाद का महल था। लालकिले का निर्माण 1638 में आरम्भ होकर 1648 में पूर्ण हुआ। लालकिला सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर स्थित है। यही इसकी चार दीवारी बनाती है। यह दीवार 1.5 मील लम्बी है, और नदी के किनारे से इसकी ऊँचाई 60 फीट, तथा 110 फीट ऊँची शहर की ओर से है। 1947 में भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था।
नालंदा यूनिवर्सिटी
नालन्दा बिहार का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ पर्यटक विश्वविद्यालय के अवशेष, संग्रहालय, नव नालंदा महाविहार तथा ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल देख सकते हैं। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। 62 किलोमीटर दूर एवं पटना से 90 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हैं। अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में दुनिया भर से आए 10,000 छात्र रहकर शिक्षा लेते थे, तथा 2,000 शिक्षक उन्हें दीक्षित करते थे। खुलने का समय: सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक। शुक्रवार को बंद।
धोलावीरा
सन १४५० में वापस यहां मानव बसाहट शुरु हुई। पुरातत्त्व विभाग का यह एक अति महत्व का स्थान २३.५२ उत्तर अक्षांश और ७०.१३ पूर्व देशांतर पर स्थित है। धोलावीरा का १०० हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तार था । धोलावीरा का निर्माण चौकोर एवं आयताकार पत्थरों से हुआ है. भूकंप के कारण सम्पूर्ण क्षेत्र ऊँचा-नीचा हो गया। आज के आधुनिक महानगरो जैसी पक्की गटर व्यवस्था पांच हजार साल पहले धोलावीरा में थी।
मीनाक्षी मंदिर
मीनाक्षी मंदिर लगभग 2000 साल पुराना है और मदुरै, तमिलनाडु के शहर में स्थित है. यह मंदिर वास्तुकला की द्रविड़ शैली का एक शानदार उदाहरण है. यह मन्दिर तमिल भाषा के गृहस्थान 2500 वर्ष पुराने मदुरई नगर, की जीवनरेखा है। जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, बाहरी निर्माण लगभग 1500-2000 वर्ष पुराने हैं। उसकी लम्बाई 254 मी एवं चौडा़ई 237 मी है।
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